Malkhamb

मल्लखंब भातीय मूल एक पारंपरिक खेल है, जिसमें एक जिमनास्ट लकड़ी के खंभे, बेंत या रस्सी के साथ संगीत कार्यक्रम में हवा में योग मुद्राएं तथा तरह तरह के करतब करता है। इस खेल में इस्तेमाल होने वाले खम्बे या रस्सी को मल्लखंब के नाम से जाना जाता है। इसमें इस्तेमाल होने काला खम्बा आमतौर पर शीशम की लकड़ी का होता है जिसे अरंडी के तेल से चमकाया जाता है। शीशम के खम्बे के अलावा बेंत का भू इस्तेमाल किया जाता है।

मल्ल और खम्ब को जोड़ कर मलखम्ब शब्द बना है। मल्ल यानी पहलवान खंब यानी ध्रुव।

भारतीय मूल के इस खेल हाल ही में भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय ने को मान्यता दी है। यह मान्यता Malkhamb Federation के नाम से जाने वाले मलखम्ब महासंघ को दी गई। भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता का अर्थ है की अब से इस खेल महासंघ को नेशनल चैंपियनशिप करवाने के लिए हर साल लगभग 22 लाख रुपए मिलेंगे, इसके साथ साथ विदेश में हो रहे अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए भी केंद्र सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। प्रशिक्षकों एवं खिलाड़िओं को भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा सहयोग प्रदान किया जाता है। इसके अलावा खिलाड़िओं को सरकारी नौकरियाँ तथा अन्य मान्यतायें भी मिलती हैं। कुल मिलाकर सरकारी मान्यता मिलने से किसी भी खेल को आगे बढ़ने में बहुत सहायता मिलती है।

खम्बे पर मलखम्ब का करतब दिखाते हुए खिलाड़ी
खम्बे पर मलखम्ब का करतब दिखाते हुए खिलाड़ी

मलखम्ब का इतिहास

मलखम्ब का इतिहास सदिओं पुराण है। इतिहास में मलखम्ब का उल्लेख 1135 ईस्वी से है। 19वीं शताब्दी में रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब और तात्या टोपे ने भी अपने बचपन में मलखम्ब सीखा था। 20वीं शताब्दी में मलखम्ब राष्ट्रीय जिमनास्टिक चैंपियनशिप के दौरना 1958 में फिर से प्रकाश में आई और 1962 में पहली राष्ट्रीय मलखम्ब चैंपियनशिप को राष्ट्रीय जिमनास्टिक चैंपियनशिप के एक हिस्से के रूप में आयोजित किया गया।

1968 में मलखम्ब अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेलों में शामिल किया गया। जिमनास्टिक फेडरेशन 1976 तक राष्ट्रिय मलखम्ब चैंपियनशिप का आयोजन करती रही लेकिन 1977 में जिमनास्टिक फेडरेशन ऑफ़ इंडिया ने मलखम्ब को अपने राष्ट्रिय चैंपियनशिप से हटा दिया, फलस्वरूप 1980 तक मलखम्ब की कोई चैंपियनशिप नहीं हुई।

1981 में उज्जैन के रहने वाले डॉ. बमशंकर जोशी तथा उनके साथियों ने मलखम्ब फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की स्थापना की जिसका पंजीकरण मलखंब फेडरेशन के नाम से 7 जून 1984 को हुआ जिसकी पंजीकरण संख्या 13752 है। इस फेडरेशन के तत्वाधान में 28, 29 जनवरी 1981 को न्यू स्पोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा मध्यप्रदेश के उज्जैन में राष्ट्रीय मलखम्ब चैंपियनशिप का आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन हिस्सों से आए खिलाड़िओं ने भाग लिया। तब से लेकर हर वर्ष राष्ट्रीय मलखम्ब चैंपियनशिप का आयोजन किया जा रहा है।

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