खेलो इंडिया न्यूज़: समुंद्र में 25 किलोमीटर से भी ज़्यादा स्विमिंग करने वाली लेडी श्रीराम कॉलेज दिल्ली की लेक्चरर मिनाक्षी पाहुजा को दिल्ली के विख्यात मॉडर्न स्कूल ने एक्सेसेलेन्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

इससे पहले मीनाक्षी को 2019 में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार जोकि भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है से सम्मानित किया गया।

1977 में टीचर्स डे के दिन जन्मी मिनाक्षी पाहुजा वर्ष 1995 तक मॉडर्न स्कूल बाराखम्बा की छात्रा रही हैं। मॉडर्न स्कूल में ही उन्होंने अपने पिता से स्विमिंग सीखी, उनके पिता मॉडर्न स्कूल बाराखम्बा स्विमिंग कोच रहे।
क्योंकि पिता खुद एक स्विमिंग कोच थे इसलिए मिनाक्षी को 5 वर्ष की उम्र में ही स्विमिंग सिखाना शुरू कर दिया था। 9 वर्ष से भी कम उम्र में मीनाक्षी 50 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक में जूनियर चैंपियन बनने के बाद 13 वर्ष तक शिखर पर रही।
लेकिन मीनाक्षी शायद 25-50 मीटर के पूल में स्विमिंग करने के लिए पैदा नहीं हुई थी, 2006 में उन्होंने खुले समुद्र में तैरना शुरू किया। जहां हम सड़क पर मैराथन करने से घबराते हैं लेकिन मिनाक्षी ने मैराथन स्विमिंग शुरू की जहाँ समुद्र का दूसरा किनारा दूरबीन से भी नहीं दीखता, सब तरफ सिर्फ और सिर्फ समुंद्र का पानी और पानी के अंदर हर तरह के जीव जंतु, आप जानते भी नहीं कि कंही समुद्र में यह आपका आखरी दिन तो नहीं।
2006 में मीनाक्षी ने पश्चिम बंगाल की भागीरथी नदी में 19 किलोमीटर तैराकी कर समुद्र में तैराकी का सफर शुरू किया और फिर पलट कर कभी नहीं देखा। हर खतरे और लम्बी तैराकी के साथ उनके हौसले बढ़ते गए लंबी तैराकी का की दूरी और लक्ष्य बढ़ता गया। साउथ कोरिया के बुसान अंतरराष्ट्रीय समुद्र में तैराकी का सफर शुरू किया, अपने देश के लिए 10वीं एशिया पैसिफिक में मैडल जीता।
2006 में विदेश में ज़ुरिक में 26.4 किलोमीटर ठन्डे पानी में तैरना आम आदमी की सोच से परे की बात है। मिनाक्षी 26 किलोमीटर तक ही नहीं रुकी बल्कि न्यूयॉर्क मैनहैटन 53 किलोमीटर और दुनिआ के बड़े से बड़े समुद्र में 80 किलोमीटर तक की दूरी भी तैर कर पार कर चुकी हैं।
मिनाक्षी के स्विमिंग कॅरियर की पूरी जानकारी यहाँ दे पाना हमारे लिए संभव नहीं क्योंकि उन्होंने दुनिआ के बड़े से बड़े समुंद्र तैर कर नाप दिए और मज़ेदार बात यह है कि अगले वर्ष वह एक और समुद्र को नापने की तयारी कर रही हैं। लगता है दुनिआ का समुद्र उनकी तैराकी के लिए छोटा पड़ जायेगा।
इसमें कोई दो राय नहीं मीनाक्षी जैसी बेटीआं देश के लिए गर्व की बात है लेकिन यह भी सही है कि वह नारी शक्ति अवार्ड से भी बड़े अवार्ड कि हकदार हैं। स्विमिंग में उनके कॅरियर को देखकर लगता है ज़रूर पिछले जन्म में वह जलपरी रही होंगी तभी उनका स्विमिंग और समुद्र से इतना प्यार है।

कौन थे मिनाक्षी के कोच ?


किसी भी खिलाड़ी की सफलता के पीछे उसके कोच और परिवार का सबसे योगदान होता है। मीनाक्षी के कोच थे वी के पाहुजा जो कि उनके पिता भी थे, उन्होंने अपना स्विमिंग का सपना अपनी बेटी मिनाक्षी पाहुजा के माध्यम से पूरा किया। यूँ तो कितने ही अन्य खिलाड़िओं को उंहोने स्विमिंग सिखाई लेकिन उनकी बेहतरीन तैराक उनकी बेटी ही साबित हुई जिसने सिर्फ अपने पिता ही नहीं बल्कि देश का नाम भी दुनिया में ऊंचा किया।
अपने समय में वी के पाहुजा स्विमिंग में एक जाना माना नाम था। वह स्वयं एक अंतरराष्ट्रीय तैराक रहे और देश के पहले NIS Swimming Batch का हिस्सा रहे। मॉडर्न स्कूल बाराखम्बा में स्विमिंग प्रशिक्षक के रूप जुड़े और सेवा-निवृत होने के समय समाजशास्त्र और हिंदी के अध्यापक रहे।
वी के पाहुजा जी एक अन्य बेहद दिलचस्प काम के लिए जाने जाते रहे वह है swimming statistics, स्विमिंग के आंकड़ों को संजोने में वह देशभर में जाने जाते और आज भी उनकी बेटी उनके नाम से हर वर्ष Swimming statistics की एक किताब जारी करती हैं।
मॉडर्न स्कूल – दिल्ली का पहला गैर सरकारी स्कूल

मॉडर्न स्कूल (Modern School) नई दिल्ली, भारत में एक सह-शैक्षिक, प्रतिष्ठित निजी स्कूल है। इसकी स्थापना 1920 में दिल्ली के एक प्रमुख व्यवसायी और परोपकारी लाला रघुबीर सिंह द्वारा की गई थी, जो एक ऐसी संस्था की इच्छा रखते थे जो “समय की जरूरतों के साथ प्राचीन भारतीय परंपरा का सबसे अच्छा संयोजन करे।” ब्रिटिश राज की राजधानी के बाद दिल्ली को शहर में स्थानांतरित कर दिया गया।
मॉडर्न स्कूल का पूर्व छात्रों का निर्माण करने का इतिहास रहा है जो रक्षा, राजनीति, व्यवसाय, कानून, शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान और मानविकी में महत्वपूर्ण, अग्रणी व्यक्ति बन गए हैं। कुछ ने तकनीकी प्रगति की है, नवीन उत्पादों का विकास किया है या जीवन रक्षक उपचारों की खोज की है, जबकि अन्य ने राष्ट्रों और क्रांतियों का नेतृत्व किया है, कालातीत कलाकृति या ऐसे लिखित शब्द बनाए हैं जिन्होंने इतिहास के पाठ्यक्रम को बदल दिया। स्कूल के पूर्व छात्र दुनिया के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं और उद्यमिता और स्वयंसेवा के माध्यम से समाज में योगदान देने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।
देश के जाने माने चेहरे इस स्कूल से पढ़े हैं:
- श्री खुशवंत सिंह (पद्म विभूषण)
- डॉ भरत राम (पद्म भूषण) मीडिया
- एयर चीफ मार्शल पी सी लाल (पद्म भूषण और पद्म विभूषण)
- स्वर्गीय श्री न्यायमूर्ति प्रकाश नारायण
- एयर चीफ मार्शल एस के मेहरा
- लेफ्टिनेंट जनरल अमरजीत सिंह कालकट
- डॉ अरुण शौरी (भारतीय अर्थशास्त्री, पत्रकार, लेखक और राजनीतिज्ञ)
- लेफ्टिनेंट जनरल विजय लाल
- लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद
- मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अजय सूद, वीएसएम
- डॉ नरेश त्रेहन (पद्म श्री और पद्म भूषण)
- उस्ताद अमजद अली खान (पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण)
- लेफ्टिनेंट जनरल अरविंद शर्मा
- श्री न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल
- श्री सुनील मित्रा, आईएएस
- श्री न्यायमूर्ति संजय किशन कौल
- श्री कीर्ति आज़ाद पूर्व क्रिकेटर
- सुश्री बरखा दत्त – (पद्म श्री) एनडीटीवी की पूर्व समूह संपादक
- श्री गौतम गंभीर – क्रिकेटर
- डॉ. मिनाक्षी पाहुजा – नारी शक्ति अवार्ड
आप मीनाक्षी पाहुजा को इंस्टाग्राम और फेसबुक पर संपर्क कर सकते हैं